बिहार में यहां मोती की खेती से बदल रहे तकदीर:पहले खुद शुरू की खेती,आमदनी देख दूसरों को भी कर रहे प्रेरित
मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती मेरे देश की धरती... ये गाना तो सुना ही है इसे हकीकत कर दिखाया है बिहार एक किसान ने।
मोती समुद्र से सीप में मिलता है। अब इसे आप अपने खेतों में भी उगा सकते हैं। इसका कारोबार कर आप अच्छी आमदनी कर सकते हैं। मोती की साइज और चमक के हिसाब से इसका रेट आप खुद तय कर सकते हैं। एक मोती 10-10 हजार रुपए तक बिक जाता
समस्तीपुर के 14 अन्य किसान भी हुए शामिल
समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर के शिवनाथपुर में प्रगतिशील किसान रामनाथ सिंह ने तीन साल पहले इसकी खेती की शुरूआत की थी। आमदनी देख अब दूसरों को भी मोती की खेती के लिए प्रशिक्षण दे रहे हैं साथ ही उन्हें खेती करने के लिए प्रेरित भी कर रहे हैं। अब उनके साथ मोती की खेती करने वाले जिला के 14 किसान शामिल हो गए हैं। इस खेती से उनकी तकदीर बदल रही है। पहले से आर्थिक परेशानी भी कम हुई है।
कैसे की जाती है मोती की खेती की देख-रेख:
प्रशिक्षक सह किसान राम नाथ सिंह बताते हैं कि मोती आप बाल्टी, ड्राम में भी उगा सकते हैं। लेकिन जमीन में गढ्ढा का इसका उत्पादन किया जाय तो सीप को प्राकृतिक एहसास होता है। और उसका विकास तेजी से होता है। जमीन पर आप 15/15 का 5 फीट गढ्ढा कर लें। गढ्ढा में गोबर, चूना और 6 इंच पानी लगाकर कदवा कर देंगे। इस जगह को एक सप्ताह के लिए छोड़ देंगे। एक सप्ताह बाद सफेद साफ पानी डाल कर 15 दिनों तक छोड़ दें।
इससे पहले मंगाये गए सीप के ऑपरेशन से पहले एक डाय (मोती की डिजाइन) पर तेल लगा देते हैं। फिर केमिकल और आरआर पाउडर डाला जाता है। तो न्यूक्लियस बन जाता है। स्पेचूला के माध्यम से इसे हटा कर उसे सीप में डाला जाता है। एक सीप में दो न्यूक्लियस डाला जाता है। फिर उस सीप को 15 दिनों तक आईसीयू में रखा जाता है। जहां दवा युक्त पानी में उसे रखा जाता है। इस दौरान 15 दिनों तक वेट किया जाता है। सीप को खाने के लिए खिचड़ी दी जाती है। जो सीप मर जाता है उसे हटा देते हैं जबकि जो सीप सुरक्षित होता है उसे बनाए गए गढ्डा में छोड़ दिया जाता है। कम से कम डेढ वर्षों तक उसकी देख रेख की जाती है। फिर उससे मोती प्राप्त होता है।
500 से 10 हजार तक बिकता है मोती
मोती बेचने के लिए बाजार और ग्राहक का इंतजार नहीं करना होता। जयपुर, दिल्ली व गाजियाबाद इसकी बड़ी मंडी है। वहां से हमेशा डिमांड बना रहता है। मांग के हिसाब से पूर्ति नहीं हो पाती। सीप जितना पुराना होगा उससे निकले वाली मोती उतना ही मंहगा होगा। मोती को धारण करने के साथ ही लोग इसका उपयोग मोती भष्म दवा बनाने में भी करते हैं। जिससे इसकी मांग बनी रहती है।
बिहार के समस्तीपुर के 14 किसान कर रहे मोती की खेती:
मोती की खेती जिले के विभूतिपुर के रामनाथ के अलावा पूसा, दलसिंहसराय, कल्याणपुर के कुल 14 किसान इसकी खेती कर रहे हैं। इस खेती को बढावा के लिए सरकार आत्मा के बैनर तले नि: शुल्क प्रशिक्षक भी देती है। भुवनेश्वर के सीफा में इसका मुख्य प्रशिक्षण केंद्र है। इसके अलावा पुणा व फरीदाबाद में भी मोती की खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है।
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